Saturday 14 March 2015

मुखपृष्ठ ओर ध्येय

'मूल प्रवृत्तियों पर विजयी बनें दुनिया आपके मुठ्ठी में होगी'   


 तुम जो मुस्कुरा रहे हो
क्या गम हैं जो छुपा रहे हो.....।

सत्य ही जीवन हैं सत्य ही सुख हैं सत्य ही आत्मा हैं।
किस्सा मशहूर हैं कि राजा हरिश्चंद्र ने सपने में देखा कि अपना सारा राजपाठ एक ब्राह्मण को दानसकर दिया था अगले ही दिन वह ब्रहामण आ पहुँचा तो उसे रत्न-जड़ित सिहासन पर बैठा खुद आम आदमी हो गये। वह ब्रहामण ओर कोई नहीं था खुद विश्वामित्र थे जो हरिश्चंद्र की ख्याति सुनकर कि जिनके लिये सत्य ही सब कुछ हैं, उसकी परीक्षा लेना चाहते थे।